जब धंसिका शान्त हुई तो अचलराज रानी कुमुदिनी से बोला.... "तो माता कुमुदिनी आप तत्पर हैं हम सभी के संग राजमहल चलने हेतु" "हाँ! पुत्र! मैं तत्पर हूँ",रानी कुमुदिनी बोलीं... "तो क्या मैं अब आपको मैना रुप में बदल दूँ?",कालवाची ने पूछा.... "हाँ! बदल दो कालवाची!",रानी कुमुदिनी बोलीं.... और कालवाची ने रानी कुमुदिनी को मैना में परिवर्तित कर दिया,उसने और सभी को भी पंक्षी रुप में बदल दिया,इसके पश्चात वत्सला, कालवाची, अचलराज और रानी कुमुदिनी महल की ओर उड़ चले,रात्रि में मैना बनी कुमुदिनी पिंजरें में रही,प्रातःकाल हुई एवं सभी उसी प्रकार व्यवहार करते रहे जैसे कि सदैव करते थे,किन्तु