उस दिन के बाद से मेरे और त्रिलोकनाथ जी के बीच अच्छी मित्रता हो गई,हलाँकि वें उम्र में मुझसे काफी बड़े थे और मुझे लगता था कि जैसे वें मुझसे कहीं ज्यादा जिन्दगी के तजुर्बे हासिल कर चुके हैं,मैंने अक्सर देखा था वें दिन भर तो एकदम ठीक रहते थे,हम सभी के संग हँसते बोलते थे,लेकिन रात को उनके कमरे से दर्द भरे गीतों की आवाज़ आया करती थी,जिससे ये साबित होता था कि वें बहुत ही अच्छे गायक थे,चूँकि उनका कमरा मेरे कमरे के बगल में था,इसलिए मैं साफ साफ उनके गीतों के बोल सुन सकता था जो विरह