दशरथ पढ़ा लिखा वहीं तक था, जहाँ तक कि कुछ लिखा पढ़ सके। दशरथ का बचपन बहुत हिंज्यादा गरीबी में बीता था। गरीबी इतनी ज्यादा थी कि बहुत ही मुश्किल से परिवार का पेट भर पाता था। किसी दिन एक समय का खाना मिल पाता था तो कभी किस्मत की मेहरबानी रही तो तीनों टाइम पेट भर जाता था। दशरथ कभी यह सोच नहीं पाया था कि वो पढ़ भी सकता है इसलिए वो बचपन में बाप के साथ खेतों में काम करता था। बड़ा होने लगा तो बाप मर गया। पता नहीं कौन सी बीमारी से, शायद गरीबी वाली