सत्यवादी हरिश्चंद्र - 3 - राज्य का परित्याग

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राज्य का परित्यागसमय बीतता गया और दान, धर्म, सत्य एवं न्याय के परिप्रेक्ष्य में राजा हरिश्चंद्र की कीर्ति दिनोदिन बढ़ती चली गई। अयोध्या में सर्वत्र सुख एवं शांति का साम्राज्य था। शासन व्यवस्था इतनी सुदृढ़ थी कि कहीं कोई पत्ता राज्य में खड़कता था तो राजा हरिश्चंद्र को तत्काल सूचना मिल जाती थी। राज्य का प्रत्येक नागरिक अपने श्रम और सामर्थ्य के अनुसार पूर्ण धार्मिक जीवन व्यतीत कर रहा था।समय-चक्र अपनी निर्बाध गति से चल रहा था। अयोध्या की सुख, शांति और राजा हरिश्चंद्र के सत्यधर्म की चर्चा तीनों लोकों में फैलती जा रही थी। इससे सबसे अधिक मानसिक भय