संशय के दायरे

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संशय के दायरे *** ‘शक और संशय में कसी हुई मानव जि़न्दगी किसकदर एक दूसरे पर बोझ बन जाती है, इस सच्चाई की गवाही वहां का वह बोझिल वातावरण दे रहा था कि जिसको तैयार करने में नमिता ने शायद कोई भी देर नहीं लगाई थी।’ *** ‘ये किसकी तस्वीर है?’ ‘लड़की की।’ ‘वह तो मैं भी देख रही हूं कि ये किसी लड़की की तस्वीर है। मगर ये लड़की कौन है, और किसकी है?’ ‘क्या हर लड़की के चहरे पर ऐसा कोई नाम लिखा होता है जो ये बताये कि वह किसकी संतान है?’ ‘हां। क्योंकि हर बच्चे का