सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 11

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शिवाजी महाराज को उपदेशतुकाराम महाराज कोरे भजनानंदी नहीं थे, वरन् नैतिक, सामाजिक कर्तव्यों का भी उनको पूरा ज्ञान था। वे सच्चे त्यागी और आत्मज्ञानी थे, इसलिए सभी विषयों में मूल तथ्य को समझ लेना उनका स्वभाव में हो गया था। जब वे लोह गाँव में रहते थे तो महाराज शिवाजी ने उनके पास बहुत सी बहुमूल्य भेंट–घोड़ा आदि भेजे और उनसे पूना आने की प्रार्थना की । तुकाराम ने समस्त पदार्थों को लौटा दिया और नौ अभंग लिखकर भेज दिये।–“मशाल, छत्र और घोड़ों को लेकर मैं क्या करूँगा ? ये पदार्थ मेरे उपयुक्त नहीं है। हे पंढरी नाथ! अब मुझे