कलियुग में केवल नाम जप से कल्याणजीव के कल्याण के लिये शास्त्रों व संत महापुरुषों ने अनेक साधन बताये हैं। सभी साधन ठीक हैं। किसी भी साधन का आश्रय लेकर जीव कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो सकता है। कहा भी है—नरव से सिख तक रोये जेते। विधिना के मारग हैं तेते ॥ नाखून से लेकर शिखा पर्यन्त जितने मानव के शरीर में रोयें हैं, भगवान् को पाने के उतने ही मार्ग हैं। कहने का भाव यही है कि प्रभु प्राप्ति के अनेक मार्ग हैं। हर मार्ग पर चलने वाले संत भक्त हुए हैं और सभी को भगवत्प्राप्ति हुई है।