जिन्दगी जेल के दरवाजे से बाहर निकल कर नरेन ने सुख की सांस ली । लगा फेफड़े में पहली बाहर ताजा हवा गई । इससे पहले तो सदियों से शायद वह सांस ले ही नहीं पा रहा था । इस जेल की घुटन भरी फिजा में कोई सांस ले भी कैसे सकता है ? हर तरफ तरह तरह के अपराधी कैसी कैसी अजीब शक्लें लिए जेल में बंद थे । उन्हें देख देख वह तो यह भी भूल गया था कि कभी वह इस शहर का प्रतिष्ठित डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल हुआ करता था । सोचते हुए उसकी