38.ईश्वर से ही पूर्ण है यह संसार जीवन की पूर्णता के अवसर पर मनुष्य द्वारा ईश्वर का स्मरण रखने की विशेषताओं का वर्णन करते हुए श्री कृष्ण कहते हैं, "वह भक्त अंत काल में भी अपने योग बल से भृकुटी के मध्य में अपने प्राण को अच्छी तरह स्थापित करता है और फिर निश्चल मन से स्मरण करता हुआ उस परम पिता परमात्मा को ही प्राप्त हो जाता है। "(8/10)अर्जुन ने सोचा कि श्रीकृष्ण ने भक्त शब्द का प्रयोग किया है। जीवन के समापन के समय इतनी उच्च कोटि की साधना अंततः कितने लोग कर पाते होंगे? अर्जुन श्री कृष्ण