कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 29

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29.जल ही जीवन है श्री कृष्ण द्वारा ईश्वर के रूप में समस्त कारण कार्यों का मूल स्वयं को निरूपित करने के बाद अर्जुन ईश्वर के स्वरूप को विस्तार से जानना चाहते थे। इस मार्ग से अर्जुन सांसारिक आकर्षणों से विरत होकर उस महा आनंद में डूब सकते थे, जो ईश्वर के अभिमुख होने पर ही प्राप्त होता है। उन्होंने श्रीकृष्ण से ईश्वर की विशेषताओं का वर्णन करने की प्रार्थना की। जब एक रेखा अर्थात आकर्षण की रेखा को महत्वहीन करना है तो उससे कहीं बड़ी रेखा अर्थात ईश्वर के मार्ग की रेखा खींचनी होगी, इसलिए उस बड़ी रेखा के संपूर्ण