21.दुखों को दूर ही रखने का उपाय जिस (परमात्मा तत्व के)लाभ की प्राप्ति होने पर उससे अधिक कोई दूसरा लाभ उसकी दृष्टि में नहीं आता और जिसमें स्थित होने पर वह बड़े भारी दुःख से भी विचलित नहीं किया जा सकता है। भगवान कृष्ण के इस कथन के बाद अर्जुन सोचने लगे - जब ईश्वर सदा हमारे साथ हैं और उनसे अलग होने में ही सबसे बड़ी हानि है, तब अन्य चीजों की हानि को लेकर दुख क्यों? जब उस परम आनंद को प्राप्त कर लेने के बाद और कुछ पाना शेष नहीं है अर्थात जब साथ कुछ है ही