कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 17

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17: आनंद का मापन श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा, "अवश्य! यह शरीर ही तो वह साधन है जिसके माध्यम से आत्म कल्याण के लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है….. यह योग उचित आहार-विहार करने वाले लोगों के लिए है…. यह योग संतुलित होकर कर्म करने वालों के लिए है….. इस योग में वह शक्ति है कि मनुष्य को दुखों से छुटकारा दिला दे। " पांडव राजकुमार होने के नाते अर्जुन ने हस्तिनापुर आने वाले अनेक ऋषियों से योग की शक्ति का अनुभव किया था। स्वयं गुरु द्रोणाचार्य से पांडवों का परिचय एक कुएं में पड़ी गेंद को अपनी धनुर्विद्या से