कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 7

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(7) सारा संसार घर मेरा यज्ञ के स्वरूप की अवधारणा स्पष्ट करते हुए भगवान श्री कृष्ण यज्ञ की गतिविधियों को पूरी समष्टि से जोड़ रहे थे। आखिर पृथ्वी पर मनुष्य एक दूसरे से संबंधित हैं और कोई एक मनुष्य पृथक तथा एकाकी नहीं रह सकता है।  श्री कृष्ण ने कहा, "अर्जुन!मनुष्य यज्ञों द्वारा देवताओं को उन्नत करें और वे देवतागण मनुष्यों की उन्नति करें। " अर्जुन सोचने लगे। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पंचमहाभूत हैं। सूर्य और चंद्र भी सृष्टि के जीवंत देव हैं। धरती के लिए वर्षा और शीत आवश्यक है तो धूप भी उतनी ही जरूरी है।