(3) आनंद है वर्तमान समय जैसे ठहर सा गया है। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन से वार्तालाप शुरू होते ही कौरवों और पांडवों की विशाल सेना योग निद्रा के अधीन हो गई। सभी अचंभित और जड़वत हैं। अपनी दूरदृष्टि से महाराज धृतराष्ट्र को यह गाथा सुनाते हुए संजय भी कुछ देर के लिए ठिठक जाते हैं। थोड़ी ही देर बाद वे कुरुक्षेत्र के मैदान में घट रही घटनाओं का पुनः सजीव वर्णन प्रस्तुत करते हैं। अर्जुन सोचने लगे कि वासुदेव ठीक कहते हैं। अगर मैं स्वरूप का पूर्ण ज्ञान नहीं रखने के कारण आत्मा को मरा हुआ मानता हूं, तब भी