नौ माह तक एक बच्ची को अपनी कोख में रखना उसे जन्म देना और उसके बाद अपनी छाती से लगाकर स्तन पान कराना यह इतना सुंदर एहसास था जिसे छोड़ कर चले जाना कल्पना के लिए इतना आसान ना था। डबडबाई आँखों से उसने स्वर्णा की बेटी की एक तस्वीर अपने सूटकेस में रखते हुए कहा, "स्वर्णा मुझे यदि इसकी याद आएगी तो मैं कभी-कभी यहाँ तेरे पास आ सकती हूँ ना?" "कल्पना यह क्या पूछ लिया तूने? यह कैसा प्रश्न था? इस बच्ची पर जितना हक़ मेरा है उतना ही तेरा भी तो है। नौ माह तक अपने शरीर