कल्पना की गोदी में जाते ही बच्ची ने रोना बंद कर दिया। उसने बच्ची को आँचल में छिपा कर अपनी छाती से लगा लिया। बच्ची दूध पीने लगी। यह दृश्य प्यार की ऐसी फुहार कर रहा था जिसे देख कर स्वर्णा के शरीर में एक अजीब-सी सिहरन होने लगी। एक अजीब-सी बेचैनी होने लगी। उसे लग रहा था मानो कुछ छूटा जा रहा है। वह तड़प उठी उसका मन कर रहा था कि काश वह बच्ची को उठाकर अपनी छाती से लगा सके। लेकिन उसकी छाती में बच्ची को पिलाने के लिए अमृत तुल्य दूध कहाँ था। कल्पना इतनी देर