सुख की खोज - भाग - 5

  • 3.6k
  • 1
  • 1.7k

कल्पना के मुँह से स्वर्णा की अजीबोगरीब मांग सुनकर रौनक भड़क उठा। आवेश में आकर उसने कहा, "ये क्या कह रही हो कल्पना? तुम पागल हो गई हो क्या? हम क्या मुँह दिखाएंगे माँ और पापा को? ...और क्या तुम अपनी कोख से पैसा कमाना चाहती हो?" "नहीं रौनक तुम ग़लत सोच रहे हो। यह कोई सौदा नहीं है। मैं जानती हूँ कि मैं कितना भी मना करूं; वह इसके बदले ना जाने क्या-क्या हमें देगी। लेकिन मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा। पैसे की बात मेरे दिमाग़ में नहीं आई। मैं केवल उसकी मदद करना चाहती हूँ। आज उसे मेरी