सुख की खोज - भाग - 4

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स्वर्णा अपनी दोस्त कल्पना से जो बात करना चाह रही थी यकीनन वह बात यूँ ही कह देना इतना आसान नहीं था। लेकिन उसे कहना तो था। तब उसने किसी तरह अपने होठों को आवाज़ दी उसने कहा, "यार कल्पना हम दोनों को अब बच्चा चाहिए लेकिन मुझे मेरा शरीर बिगड़ जाने का बहुत डर लगता है। आजकल तो इसके कारण मेरे और राहुल के बीच बहुत बार झगड़ा भी हो जाता है। उसे बच्चे की बहुत जल्दी है। वह अब और इंतज़ार नहीं कर सकता। कल्पना तू यदि तेरी कोख में हमारे बच्चे को स्थान दे-दे तो..." "स्वर्णा तू