संडे का दिन ..... आज सुबह से संदीप और कन्या बहुत बिजी रहती है समान व्यवस्थित करने में फिर किचन में खाना के तैयारी में .... बारह बजे ... संदीप रेलवे स्टेशन जाता है बेबे और पापाजी को लेने ,उन लोगों के ट्रेन आते हुए लगभग दोपहर एक बज जाता है , ,,, संदीप बेबे के बताए एसी कोच नंबर पर जाता है और बेबे को देखकर मुस्कुरा कर ,"पैरिपैना बेबे झुककर पैर छुता है बेबे : "जिवन्दा रह पुत्तर जी ,संदीप के पीठ को थपथपाते हुए...!! संदीप : "पैरिपैना पापाजी बोलकर झुकते रहता है....!! पापाजी :"पुत्तर जी गले लग