उजाले की ओर –संस्मरण

  • 3.1k
  • 1.1k

उजाले की ओर - - - संस्मरण ================== मित्रो स्नेहिल नमस्कार जीवन बड़ा अद्भुत है, सच कहें तो एक दौड़ सा लगता है और कभी सोता हुआ सा |सच बात तो यह है कि हम मनुष्य कभी भी संतुष्ट नहीं होते | सफ़ल होते हैं, तब और आगे की सोच शुरू हो जाती है और असफल होते हैं तब तो बिलकुल ही निराशा के पलड़े में जा बैठते हैं | सोचकर देखें कि मनुष्य -जीवन में सफलता ज्यादा खतरनाक है या असफलता? जब कभी व्यक्ति असफल होता है तो वह तरह तरह से अपना विश्लेषण करता है। अपनी कमियों ओर