सिद्धार्थ के रोंगटे खड़े होने लगते हैं, उसे ऐसा महसूस होता है कि नंदू भैया की आत्मा उसके शरीर में प्रवेश कर रही है और जैसे ही सिद्धार्थ की मां सिद्धार्थ को देखकर उसके सर पर हाथ रखकर कहती है "अपने भाई को परेशान मत कर नंदू बेटा।" तो मां के यह कहते ही सिद्धार्थ बिल्कुल ठीक हो जाता है।सिद्धार्थ के घर के अंदर पहुंचने के बाद जब अंकिता की मां को घर में बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिलती है तो सिद्धार्थ अपनी कुर्सी से उठ कर अंकिता की मां को अपनी कुर्सी बैठने के लिए देता है, लेकिन