मंजिल अपनी अपनी - 3

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चंदा ने कहा पूछी थी बोले एक ही बार शाम को आकर पी लूंगा ।है मेरे भगवान वह हमारी मैरिज एनिवर्सरी की डेट भूलते भी तो नहीं। सूरज ने कहा तुम समझती क्यों नहीं चंदा आज की भाग दौड़ में किस किसी के जन्मदिन या सालगिरह की याद रहती है या उनका अपनापन है ही तो है कि निसंकोच अपने आप आकर हमें संभल जाते हैं।चंदा बोली यही तो कमाल है सूरज !जिन्हें हम बुलाना चाहते हैं वह तो ना आए और जिसे ना चाहे.......सूरज ने बीच में टोकते हुए कहा बस बस इस बहस को यही बंद करो और