नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक बाईसवां भाग *** आशू मोहिनी का जीवन, अपने अतीत की धूमिल यादों की परतों को कभी खुरचने, कभी उन पर अपने आंसू बहाने तो कभी बे-मतलब ही अनजानी राहों की तरफ चलने और भागने का मोहताज हो गया. जब तक वह कार्यालय में रहती, व्यस्त रहती, अपना काम करती. बहुत कम बोलती, अधिकांशत: चुप और खामोश रहती. जितने लोग भी उसकी वास्तविकता को जानते थे, वे सब उसे एक संशय की दृष्टि से ही घेरे नज़र आते थे. इसका सबसे बड़ा कारण था कि, कोई भी उसकी वास्तविकता को नहीं जान सका था. वह कहाँ