काव्यजीत - 5

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1.एक ख्वाबों का जहां सजा कर दिल मेंसंग तेरे मै आईचाहतों की हसीन दुनिया भीथी मैने सजाईक्यों तुमने मुहब्बत मेरी बिसराईबिखरे ख़्वाब जब मिलीरुसवाईये दर्द की कहानी कैसे लफ्जों में बयां होगीहमने तो न कभी सोचाये खुशियां हमसे यूं जुदा होगीक्यों मुहब्बत मेरी तू समझ ना पायाक्यों दिल से मुझे नाअपनायाक्या शिकायत हम जमाने से करेखामोश रहे तो ही अच्छानही तो हकीकत तेरी भी जमाने में बयां होगी2.मुहब्बत मेरी जरा सी नादानकैसे समझाऊं तुम्हे अपने दिल के अरमानजो दिल में है अल्फाजों में कहना ना आएकाश तू निगाहें मेरी पढ़ ले दिल बात समझ जाएमुझे ये इश्क की हदें ना