कुछ ही देर में वें वहाँ आई जहाँ मैं बैठा था,मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया,वें एक अधेड़ उम्र की महिला थीं,उन्होंने सफेद लिबास पहन रखा था,जिसे उनकी जुबान में शायद गरारा कहते थे,सिर और काँधों पर सफेद दुपट्टा ,खिचड़ी लेकिन घने और लम्बे बाल,चेहरे पर नूर और आँखों की चमक अभी भी वैसी ही बरकरार थी जैसी कभी उनकी जवानी के दिनों में रही होगी,गहनों के नाम पर उनके कानों में सोने के छोटे छोटे बूँदें,नाक में हीरे की छोटी सी लौंग,गले में सोने की हलकी चेन और दोनों कलाइयों में सोने का एक एक कंगन था,उनका