ये तुम्हारी मेरी बातें - 2

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"नहीं, मैं मान ही नहीं सकता!" " तुम्हारे मानने या ना मानने से मुझे फर्क नहीं पड़ता।"" वो तो मुझे क्या ,मोहल्ले वालों तक को पता है, कि मिश्राइन; मिश्रा साहब को अपने जुत्ते की नोक पर रखती हैं।" " ये ज़्यादा हो गया, थोड़ा कम फेंको तो हज़म भी कर लूं, यही एक आदत तुम्हारी सबसे ख़राब है, बाकी काम चलाऊ हैं।"" अरे अरे, सबसे ख़राब बस एक ही आदत है? अभी प्यार के दो मीठे बोल बोल दूं तो उसके लिए भी यही कहोगी कि बस यही आदत सबसे ख़राब है, ऐसे कहते कहते मेरी हर आदत को