लेखक -डॉ.सुनील जाधव मो.९४०५३८४६७२ उस दिन जगजीत अपने कमरे से बाहर निकला था | उसके चेहरे पर गुस्सा था | बाएं हाथ की मुट्ठी भिंची हुई थी | और दायें हाथ में चमकता हुआ चाकू था | चाक़ू की धार को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसने अभी-अभी चाक़ू को धार लगाई हैं | वह कमरे से बाहर होते हुए आँगन में पहुंच गया था | जगजीत आगे क्या करने वाला था इसकी जिज्ञासा मुझे भी थी | आखिर वह गुस्से में चाक़ू लेकर कहाँ जा रहा था | एकाएक वह आँगन के एक कोने में