दिनांक:26/12/2022प्रोफेसर!मालूम है तारीख़ गलत लिखी है, लेकिन 26 तारीख़ अब शायद ही मैं कभी भूल सकूंगी। जो हुआ उस वजह से नहीं, जो हुआ उस वजह से आपका मेरी ज़िन्दगी में शामिल होना! कहाँ सब कुछ ख़त्म करने चली थी मैं! बिना कुछ सोचे समझे, बस तय कर के बैठ गयी थी कि अब जीने लायक कुछ नहीं बचा मेरे लिए इस दुनिया में! वजह आपसे छुपी नहीं,इसलिए यहाँ कहकर ;उस वजह को इतनी तवज्जो नहीं देना चाहती। कौन किसी अजनबी की इतनी परवाह करता है, जितनी आपने की। चली जाती इस दुनिया से किसी को क्या ही फ़र्क़ पड़ने