अन्धायुग और नारी--भाग(७)

  • 3.8k
  • 1.9k

आँखें खोलते ही तुलसीलता ने लालटेन के उजियारे में मुझे पहचान लिया और मुझसे पूछा.... "तू यहाँ क्यों आया है"? "तुम्हें बचाने",मैंने कहा... " तू मुझे बचाने क्यों आया है"?,तुलसीलता ने पूछा... "मानवता के नाते",मैं बोला... "तेरे दादा को पता चल गया कि तूने मुझे यहाँ से छुड़ाया है तो",तुलसीलता बोली... "तुम अगर अपनी बकवास बंद कर दो तो मैं तुम्हारी रस्सियाँ खोल दूँ",मैंने तुलसीलता से कहा.... "अरे! बिगड़ता क्यों है,कोई एहसान थोड़े ही कर रहा है तू मुझ पर",तुलसीलता बोली.... "हाँ! सही कहा तुमने,एहसान नहीं है ये,अपने दादा जी के किए बुरे काम को अच्छा करने की कोशिश कर