फादर्स डे - 65

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 65 रविवार 16/07/2000 सूर्यकान्त कठोर मन का इंसान था। उसकी दृढ़ता का अंदाज किसी को भी नहीं था, खुद सूर्यकान्त को भी अपने मजबूत मनोबल के बारे में शायद पता न हो। आज संकेत की जांच छोड़कर अमित को खोजने के लिए मेहनत करने की उसकी मांग एक पिता के नाते क्रूरता भरी भले ही लग रही हो लेकिन एक सह्दय व्यक्ति के रूप में नतमस्तक करने वाली थी। रात को आठ बजे सभी गाड़ियां शेंदूरजणे से निकलीं। सूर्यकान्त गाड़ी में बैठा जरूर था लेकिन उसका मन और आत्मा उस गन्ने से हल्दी में बदल गए