लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 64 बुधवार 19/07/2000 अंकुश को मॉं और पत्नी का डर दिखाते ही वह लहू बात करने के लिए चला गया था। मांगे थे दस मिनट, लेकिन अंकुश सिर्फ तीन मिनट में ही वापस आ गया। सूर्यकान्त की विचारतंद्रा को तोड़ते हुए अंकुश ने बताया, “हां साहब, सब कुछ लहू ने ही किया है।” इतना सुनते ही सूर्यकान्त के सर से पांव तक आग लग गई। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। क्रोध, हताशा और वेदना-सभी भाव एकसाथ उसके चेहरे पर आ गए थे। सूर्यकान्त के चेहरे के हावभाव बदलते जा रहे थे। वह अंकुश या