संजना : (उपन्यास) - पुस्तक समीक्षा

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संजना : अतीत ऐसा जो पीछा छोड़ना नहीँ चाहता !श्री सूर्य नारायण शुक्ल का लिखा उपन्यास "संजना" एक ऐसी कैशोर्य उम्र की लड़की संजना की रोचक कहानी का ताना बाना लिए हुए है जिसके जीवन में अनेक प्रत्याशित अथवा अप्रत्याशित घटनाएं -दुर्घटनाएं होती रहती है। एक हादसे से उबरी नहीं कि एक और हादसे का शिकार हो गई। मानो यह सब क्रिया की प्रतिक्रिया के चलते भी हो रहा था। किशोर उम्र में उसका विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो जाना स्वाभाविक था, अपने प्रेमी के आकर्षण में आकर लापरवाह होकर प्रिगनेंट हो जाना भी कुछ हद तक स्वाभाविक था।