एपिसोड 17 ( मंदिर में काव्या ओर राघव ! ) वहीँ रूम में , रोनित से रुका नहीं जा रहा था | इसलिए ख़ुशी के इतने मना करने के बाद , भी रोनित बोल ही पड़ा | रोनित :: "पता हिया भाभी , वो जो काव्या है न , भाई को थोडा उससे दूर ही रखना | काश्वी मसुमियत से :: "पर क्यूँ , वो तो राघव की दोस्त है न ?" तो ख़ुशी छिड़ते हुए बोलती है :: "दोस्त , नहीं भाभी , वो तो इसलिए क्यूंकि काव्या के पेरेंट्स ओर हमारे पेरेंट्स एक दुसरे को बहुत टाइम से