सर्दियों की रात थी। तृष्णा अपने कोचिंग से लौट रही थी। उस वक़्त सिर्फ 8 ही बजे थे । तृष्णा ऑटो स्टैंड पर उतरकर अपने घर की ओर पैदल चल दी। उसके घर की ओर जाने वाले रास्ते पर इस समय एक दो लोग ही दिख रहे थे। कड़ाके की ठंड की वज़ह से सब लोग अपने घरों में सिमट गए थे। रास्ता थोड़ा सुनसान सा था। तृष्णा को चलते चलते आभास हुआ,जैसे अंधेरे में कोई साया उसका पीछा कर रहा हो। जब उसने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था। फिर वो आगे बढ़ गयी।लेकिन थोड़ी देर बाद