फादर्स डे - 55

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 55 शुक्रवार 05/06/2000 गुजरते हुए दिनों ने सूर्यकान्त और प्रतिभा को एक कठोर वास्तविकता को सहन करने, पचाने की ताकत प्रदान की थी। दोनों ने ही मन ही मन इस बात को स्वीकार कर लिया था कि अब संकेत का मिल पाना असंभव है। इतने छोटे बच्चे को खोजना वास्तव में बहुत कठिन है। यदि अपने नसीब में होगा तो किसी बालसुधार गृह या अनाथालय में संकेत होगा...हो सकता है जिंदा ...???? लेकिन इतनी भयानक आशंका शब्दों में व्यक्त करने ताकत और हिम्मत दोनों की ही जिव्हा में नहीं थी। इस पर एक और नई धमकी