फादर्स डे - 48

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 48 सोमवार 08/02/2000 पुलिस का डर, मारपीट, मानसिक वॉर-गेम, पूछताछ सब बेकार हो गया था। बहन और जीजा ने सबकुछ कबूल कर लिया है- अमजद की गुनाह कबूली इसी पर आधारित रहने वाली थी, लेकिन अंधेरे में मारे गए इस तीर का भी कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस का गेम फेल हो गया था। पुलिस के सामने दो रास्ते थे। पहला, अमजद कठोर कलेजे वाला शातिर अपराधी है, जल्दी मुंह नहीं खोलेगा। यदि ऐसा हुआ तो उसकी जुबान खोलने के दूसरे कई रास्ते हैं और दूसरा, यानी अमजद वास्तव में निर्दोष होगा। लेकिन ये अमजद शेख