लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 42 सोमवार -03/01/2000 डिप्टी मिनिस्टर छगन भुजबल से बातचीत करते समय सूर्यकान्त की आवाज में नम्रता और सौम्यता थी। संकेत के गुमने के बाद और उसके वापस लौटने के दिनों में बढ़ती दूरी के बीच सूर्यकान्त के स्वभाव में अनजाने ही बहुत अधिक अंतर आ गया था। पहले वाला ऊंची आवाज में बोलने वाला, छोटी-छोटी बात में भड़कने वाला और किसी की भी परवाह न करने वाला सूर्यकान्त इधर शांत, सौम्य और गंभीर हो गया था। आवेदन पत्र में लिखे गए शब्दों में अत्यधिक विनम्रता थी। बावजूद, उस बुझी हुई राख के नीचे धधकता हुआ अंगारा