फादर्स डे - 24

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लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 24 सोमवार, 06/12/1999 पुलिस दल चौकस था। अपराधी ब्रीफकेस को उठाने के लिए जैसे ही कमरे में पहुंचतेगा, उसे धर दबोचने के लिए सभी तैयार थे। सूर्यकान्त, उसके दोस्त और पुलिस वाले अलग-अलग दिशाओं से ब्रीफकेस पर नजरें गड़ाए हुए थे। वे इस कदर दम साधे और चौकन्ने थे कि उनकी दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं। सूर्यकान्त ने संजय को एक अलग कार में घर वापस भेज दिया था। वह हर एक पल को गिन रहा था। इस लोकेशन पर उसे बिना मकसद, फालतू समय गंवाना भारी पड़ रहा था। दोपहर 3 बजे तक