लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 11 मंगलवार, 30/11/1999 लहू रामचंद्र देखणे जिस तरह से बात कर रहा था, सूर्यकान्त उससे काफी प्रभावित हुआ। इससे पहले कि वह अपनी सहानुभूति जता पाता, लहू ने उससे कुछ पैसे मांग लिए। “पुलिस वालों ने मुझे रात-भर सोने नहीं दिया। मैं अपने घर वापस जाकर आराम करना चाहता हूं, पर मेरी जेब में घर जाने के लिए पैसे नहीं हैं। सर, यदि आप कुछ पैसे दे दें, तो बड़ा आभारी रहूंगा, ” वह बोला। लहू के दयनीय चेहरे की ओर देखते हुए, सूर्यकान्त उसको पैसों के लिए मना नहीं कर पाया। उसने अपनी शर्ट की