वाजिद हुसैन की कहानीदिनभर ऑफिस की बकझक से दिमाग वैसी खाली हो रहा था। शरीर भी थका हुआ था। रात के खाने की चिंता सता रही थी, फिर सोचा, 'खाना- पीना तो मर्द के दम से होता है, अकेली औरत का खाना ही क्या, मैगी खाकर काम चला लूंगी। अचानक कपिल के फोन ने चौंका दिया, 'अरे सुन आज शाम तुझसे मिलने आ रहा हूं, तेरी एक अमानत मेरे पास है वह देना है।' ... हालांकि हमारे संबंध विच्छेद को लगभग एक वर्ष हो चुका था, लेकिन कपिल बिल्कुल नहीं बदला था। उसी बेतक्ललुफी और अपनाईयत ने एक साल से