उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर---संस्मरण =================== स्नेहिल नमस्कार मित्रों कई बार किसी मनुष्य में कुछ दिनों में इतने बदलाव दिखाई देते हैं कि विचार उठता है, क्या यह वही मनुष्य है ? जी, मनुष्य तो वही होता है जिसको हम वर्षों पहले से जानते थे | कुछ दिनों परिस्थितिवश उससे दूर क्या हुए कि जब मिले तब उसका रूप, आचरण, व्यवहार सब बदल हुआ मिला | कई बार जब सकारात्मक ऊर्जा की बात होती है तब अच्छा लगता है और लगता है कि अवश्य ही उसने अपने जीवन में ऐसा कुछ प्राप्त किया है कि हमें उसके लिए प्रसन्न होना भी बनता