सुबह की सैर

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*आज सुबह "morning walk" पर,एक व्यक्ति को देखा* मुझ से आधा "किलोमीटर" आगे था।अंदाज़ा लगाया कि, मुझ से थोड़ा "धीरे" ही भाग रहा था। एक अजीब सी "खुशी" मिली। मैं पकड़ लूंगा उसे, और यकीन भी। मैं तेज़ और तेज़ चलने लगा ,आगे बढ़ते हर कदम के साथ,मैं उसके "करीब" पहुंच रहा था.कुछ ही पलों में, मैं उससे बस सौ क़दम पीछे था.निर्णय ले लिया था कि, मुझे उसे "पीछे" छोड़ना है। थोड़ी "गति" बढ़ाई।अंततः कर दिया।उसके पास पहुंच, उससे "आगे" निकल गया."आंतरिक हर्ष" की "अनुभूति",कि, मैंने उसे "हरा" दिया।*बेशक उसे नहीं पता था,कि हम "दौड़" लगा रहे थे* मैं