में और मेरे अहसास - 88

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ये कैसा हसीन गुनाह करना चाहते हो l क़ायनात को फिरदौस बनाना चाहते हो ll   सब को अपने जैसा दिल वाला ना समझ l सखी खुद से ही खुद को हराना चाहते हो ll   बड़े बेईमान, पढ़े लिखे, खुदगर्ज, मतलबी l जहां को इंसानियत से सजाना चाहते हो ll   एक बार मेरी जुबां से मेरी दास्तान सुनो तो l काटों के बीच गुलाबो को लगाना चाहते हो ll   दिलों की क़दर नहीं रहीं एक पैसे की भी l पल में अदा बदले उसे क्या बताना चाहते हो? १-१०-२०२३    आंखों से जाम पीला दो l थोड़ी