ये कैसा हसीन गुनाह करना चाहते हो l क़ायनात को फिरदौस बनाना चाहते हो ll सब को अपने जैसा दिल वाला ना समझ l सखी खुद से ही खुद को हराना चाहते हो ll बड़े बेईमान, पढ़े लिखे, खुदगर्ज, मतलबी l जहां को इंसानियत से सजाना चाहते हो ll एक बार मेरी जुबां से मेरी दास्तान सुनो तो l काटों के बीच गुलाबो को लगाना चाहते हो ll दिलों की क़दर नहीं रहीं एक पैसे की भी l पल में अदा बदले उसे क्या बताना चाहते हो? १-१०-२०२३ आंखों से जाम पीला दो l थोड़ी