नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक इक्कीसवां भाग अपनी कब्र पर फूल रखने और मोमबत्तियां जलाने आई हूँ *** होटल ग्रीज़ी. जितना मनहूस नाम इस होटल का था, उससे भी कहीं अधिक इसके यहाँ की बनी हुई शाकाहारी बिरियानी की विशेष प्लेट भी सारे शहर में मशहूर थी. यह होटल जैसे ही सुबह दस बजे से खुलता था तो फिर रात के बारह बजे तक इसकी भीड़ ही समाप्त नहीं होती थी. इसी कारण, मोहिनी ने भी जब इसकी चर्चा सुनी तो उसने भी आज दोपहर का लंच यहाँ खाने का अपना मन बना लिया था. वह अपनी कार में बैठी