जिंदगी की उजली भोर - भाग 3

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‘‘जरूरत और हालात ने दोनों को करीब कर दिया. उस का भी कोई न था, परेशान थी. वह प्रोग्राम में गाने गा कर जिंदगी बसर कर रही थी. दोनों की उम्र में फर्क होने के बाद भी आपस में अच्छा तालमेल हो गया तो शादी ही बेहतर थी.‘‘पापा अपनी जगह सही थे. यह भी ठीक था कि बीमारी से अम्मी चिड़चिड़ी और रूखी हो गई थीं. वे किसी से मिलना नहीं चाहती थीं. पर अम्मी का गम भी ठीक था. जो हो गया उसे तो निभाना था. बूआ का बेटा बाहर पढ़ने गया था. बूआ अकसर अम्मी के पास रहतीं.