मैं ग़लत था - भाग - 2

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अब चारों आँगन में बैठे भजिये और चाय की चुस्कियों के बीच दुकान खोलने के बारे में चर्चा कर रहे थे। भले राम ने कहा, “बाबूजी हम शहर से अच्छी-अच्छी ऐसी चीजें लेकर आएंगे, जो हमारे गाँव वालों ने कभी भी उपयोग में नहीं लाई होंगी। नई-नई वस्तुओं के आकर्षण में लोग हमारी दुकान पर खिंचे चले आएंगे।” छोटे ने कहा, “चाचा जी हम दोनों मिलकर बहुत ईमानदारी के साथ दुकान चलाएंगे। गाँव के लोगों के साथ कभी किसी भी तरह की बेईमानी या धोखाधड़ी नहीं करेंगे।” केवल राम ने कहा, “तुम्हारी बातों में दम तो है, क्या बोलते हो