सहारा

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सरकारी नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद रामदयाल को अपना समय बिताना बहुत मुश्किल लगता था, क्योंकि दो वर्ष पहले उसकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था और उसका बेटा संजीव अपनी रोजी-रोटी और घर गृहस्ती में व्यस्त रहता था। रामदयाल सुबह अपने घर की बालकनी में अखबार पढ़ते हुए चाय नाश्ता करता था और बालकनी से आने जाने वाले लोगों को देखकर अपना समय बीताता था।रामदयाल के इकलौते बेटे की पत्नी घर के कामों में व्यस्त रहती थी, वह सुबह उठकर रामदयाल को और अपने पति संजीव को चाय नाश्ता देकर दोपहर का खाना बनाने में व्यस्त हो जाती