(64) पुष्कर की बरीक्षा हो गई। विशाल भी अपने परिवार के साथ उसमें शामिल हुआ था। सबको दिखाने के लिए खुश भी हो रहा था। लेकिन अंदर ही अंदर गुस्से में था। हर पल बस उसे एक बात का खयाल आ रहा था। क्या उसकी खुशियों का कोई मोल नहीं था ? उसके परिवार वालों ने उसकी खुशियों को कितनी आसानी से आग लगा दी थी। आज सबकुछ भूलकर जश्न मना रहे हैं।बरीक्षा के तीन दिन बाद परिवार की गाय मंगला की अचानक मौत हो गई। परिवार में डर पैदा हो गया। एकबार फिर सबको माया का श्राप याद आ