चमकीला बादल - 9

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(9) कमलकांत ने तैराकी के घाट पर कोलाहल मचा दिया था। तैराकी के ऐसे ऐसे करतब दिखाता कि घाट पर भीड़ एकत्र हो जाती थी। मवानजा में उनका तीसरा दिन था। संगही से दोबारा मुलाकात नहीं हुई थी। मसोमा की तेज़ निगाहें हर समय संगही की खोज में रहती थी। यहां इस समय विक्टोरिया के इस तट पर भी जहां तैराकी होती थी उसे संगही की तलाश थी। हो सकता है कि वह संगही की असलियत को न जानता रहा हो किंतु कमल के अज्ञात साथी की हैसियत से संगही उसके लिए महत्वपूर्ण था। संगही के प्रति कदाचित मसोमा इस