बदनसीब - 2

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जब तीनों लड़के और लड़की मुझे खरी खोटी सुना कर चले गए, तब मैं शाम तक इसी सदमे में रहा, क्या यह वो ही औलाद है, जिनका पालन पोषण करने में नमिता और मैंने दिन रात एक कर दिया था। आज कितनी गैर हो गई मेरी चारों औलाद।,, बाबू जी कब तक इसी तरह से भूखे पेट बैठे रहोगे,,। रात के आठ बजे शारदा ने मेरे कमरे के दरवाजे पर आते हुए कहा।,, तुम खाना खा कर अपने कमरे में लेट जाओ,,। न जाने कब होटों की आवाज बड़ाबड़ा हट मे बदल गई, मुझे पता ही नहीं लगा।,, बाबू जी